Sontra Vansh Jathere

Address : Bawa Talab, Aknoor Road, Jammu

Annual Mel : On Wednesday before Kartik Purnima 

Contact No. : 94191-62446 (Mr. Darshan Mehra)

Darshan Mehra

Mo. : 94191-62446

Bawa Talab Mandir, Aknoor Road, Jammu

Sontra Vansh Jathere Mandir

सौन्तत्रा बिरादरी का इतिहास

सौन्तत्रा बिरादरी के प्रधान दर्शन लाल सौन्तत्रा ने अपने जठेरों के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उनके बजुर्गों से मिली जानकारी के अनुसार वह यह जानकारी सभी के साथ सांझी कर रहे हैं जो कि इस प्रकार है।
हमें दाता व दाती का इतिहास इस प्रकार मालूम हुआ है कि हमारे दाता दो भाई थे और वो ठींन बिरादरी के थे। वो कलीठ गांव में रहते थे जो इस समय भी अखनूर तहसील में है। हमारे दाता का नाम कामा था और वह बड़े थे जबकि छोटे भाई का नाम तोला था। दाता की शादी हमारी कुल की बुआ दाती के साथ हुई थी जो कि सुरखपुर गांव की रहने वाली थी जो इस समय पाकिस्तान में है। शादी के सिर्फ तीन दिन नहीं हुए थे कि दाता जी की सेहत खराब हो गई। सब घर वालों ने सलाह की और पुरोहित को बुलाया और उसको बुआ दाती को बुलाने भेजा। पुरोहित बुआ दाती के घर पहुंचे। उसी रात बुआ दाती को स्वपन में दाता जी के साथ कुछ बुरा हो गया है ऐसा देखा। सुबह दाती जी ने अपनी माता जमना देवी को अपने दुखद सपने के बारे में बताया। माता जी ने दाती को समझाया कि ऐसा नहीं हो सकता, सपने सच में नहीं होते और दाता जी के बारे में ऐसा कभी नहीं सोचने की नसीहत भी दी। बुआ दाती ने अपनी माता जी को बताया कि ससुराल वालों ने पुरोहित को मुझे बुलाने के लिए भेज दिया है। माता ने बुआ दाती को समझा बुझा कर शांत किया। उसी दिन पुरोहित जी पहुंचे। बुआ दाती पुरोहित को देखकर परेशान हो गई। माता जी भी कुछ बेचैन हुई पर फिर भी अपने आप को संभाल लिया। पुरोहित जी को बैठने को कहा और दाता व परिवार के कुशल मंगल के बारे में पूछा। बुआ दाती ने अपनी माता को रसोई में कहा कि पुरोहित ने झूठ बोला है। क्योंकि पुरोहित जी को भूख लगी है इसलिए पहले इन्हें खाना खिलाएं और बाद में पूछना। माता जी ने आदर सत्कार के साथ पुरोहति जी को खाना खिलाया और कुछ समय बाद फिर पूछा कि पुरोहित जी लगता है आपने सच नहीं बताया है। कृप्या करके जो सच है वह बताएं। पुरोहित जी ने कहा कि माता जी आप सत्य बोल रही हैं मैंने आपसे झूठ बोला है। असल में दाता जी का स्वर्गवास हो गया है और मुझे दाती जी को लेने के लिए भेजा है। इतना सुनते ही दाती जी ने क्रोध में आकर अपनी माता जी को कहा कि अब उन्हें इस जगत में रहने का कोई अधिकार नहीं है अत: मुझे जाने की इजाजत दें। बुआ दाती ने श्रृंगाल व शालू ओढ़ कर व न्योरड़ी (एक किस्म का कड़ा) पहन कर पुरोहित जी को तुरन्त चलने को कहा जहां दाता जी का अंतिम संस्कार हुआ है। पुरोहित जी बुआ दाती जी को काला डब्बा नामक स्थान पर लेकर गए जहां दाता जी का अंतिम संस्कार हुआ था। दाती जी ने जड़ नामक पेड़ के नीचे आसन लगाया और पुरोहित जी कहा कि आप थोड़ा दूर होकर बैठें मैं तप करने जा रही हूं। दाती जी ने वहीं मिट्टी का दिया बनाया व खब्बल (दूर्व)की जोत बनाई व वहीं पर स्थित तालाब के पानी को दिए में तेल की जगह डाला और प्रार्थना की अगर उनके पति जीवित है तो दिया जले नहीं तो न जले। इतना कहते ही दिए में जोत जल उठी। इतने में धरती फटी और दाती जी समा गई पर शालू सवा गिरह (गिठ) उसी जगह बाहर रहने दिया जिससे कि पुरोहित जी यह साबित कर सकें व ससुराल वालों को दिखा सकें। दाती के ससुराल वाले पुरोहित को पूछने लगे कि बताओ कि दाती को कहां छोडक़र आए हो। पुरोहित सब को उसी जगह लाया और बताया कि इसी जगह दाती जी ने तप किया और धरती में समा गई हैं इससे ज्यादा मैं नहीं बता सकता। उसी रात दाती जी हीरा नामक व्यक्ति जोगी – (जिसने दाता का मारू बजाया था) को सपने में आकर कहा कि सुबह वह उसी जगह पर आए और चिता सजाकर मारू बजाकर चिता जलाए जिससे मेरी भी मुक्ति हो।
उसके उपरांत दाती जी ससुराल वालों पर क्रोधित रही और उनको उनकी गलती का अहसास विभिन्न तरीकों से कराती रही।
बुआ दाती के क्रोध से बचने के लिए ससुराल वालों ने दाती की सेवा करके परिवार को विपत्ति से बचाने की दाती से प्रार्थना की। दाती जी ने अपनी शर्तें मनवाई और ससुराल वालों को क्षमा किया।
1. अपनी जात वटाओ भाऊ से कश्यप राजपूत बिरादरी सोन्ततत्रा होगी।
2. मेरा देहरा जब भी बने कुल पुरोहित मुझे न देखे व छुए।
3. स्थान वैगरहा बिरादरी के दिआला ही करे, मालबाला जी जगह पहले दिआला का नाम कोहलू था – को पिता का नाम देवी लाए।
4. जन्माष्टमी पर देआ भरे व जड़ की लकड़ी को जरूर रखें। लडक़ों का मुंडन इस दिन करें।
5. शादी में विवाहित लाल शालू में कढ़ाई न हो (सादा हो)
6. दुप्पटा व शाल इक्टठा न पहनें।
नोट – दाता व दाती का पहला स्थान काला डब्ब, तहसील परगवाल, जम्मू से 25 कि.मी. सुआ नं. 1 से 14 कि.मी. बना है। दाता व दाती का दूसरा स्थान बावा तालाब जम्मू में है जो जम्मू से 17 कि.मी पर अखनूर रोड पर है।
दाता व दाती के सेवक
दर्शन मेहरा – मो. – 94191-62446